शनिवार, 25 अप्रैल 2020

भगवान परशुराम की जयंती में सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा गया

             भगवान परशुराम जयंती पर विशेष।


परशुरामजी राजा पृसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशी जमदग्नि के पुत्र थे। वे विष्णुजी के छठे अवतार और शिव परम भक्तथे ,किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किए रहने के कारण ये परशुराम कहलाते हैं ‌। इनका नाम तो राम था,इन्हे शिव से परशु प्राप्त हुआ था। परशुराम भगवान विष्णु के दस अवतारों में से छठे अवतार थे ,जो वामन एवं रामचंद्र जी के मध्य में गिना जाता है। जमदग्नि ऋषि के पुत्र होने के कारण ये जामदगन्य भी कहलाए। इनका जन्म अक्षय तृतीया,वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। अतः इस दिन वृत एवं उत्सव मनाने की परंपरा है।इसी क्रम में 26अप्रैल को भगवान परशुराम का जन्मोत्सव के विधि विधान के साथ मनाया जाना था। इसी क्रम में महासभा द्वारा शोभायात्रा निकाली गई थी विगत वर्ष अक्षय तृतीया को। इसी तरह  ब्राम्हण संगठनों ने भी तरह-तरह के आयोजनो के माध्यम से जन्मदिवस धूमधाम से मनाया। परन्तु इस वर्ष लाकडाउन एवं सोशलडिस्टेशिग के चलते किसी भी प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन सम्भव नहीं है26 तारीख को सभी संगठनों एवं भगवान परशुराम महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपेश अवस्थी जी द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि शाम को 8-00बजे अपने अपने घरों में पूजा-अर्चना के पश्चात दीपक जलाने के लिए कहा है। प्रत्यूषद्विवेदी भगवान परशुराम सेना अध्यक्ष ने आवाहन किया है।सभी लाक डाउन का पालन करते हुए ग्यारह दीपक अवश्य जलाएं।इस फैसले का डाअमरेन्दर त्रिपाठी,शिव नरेश, विकास त्रिपाठी,ओम प्रकाश मिश्रा,सोम दत्त तिवारी, नरेश चंद्र त्रिपाठी,रजन्नू,आशीष मिश्रा, डॉ गौतम बाजपेई, डॉ धर्मेंद्र तिवारी, महेश चन्द्र द्विवेदी,सुभाष चंद्र तिवारी ने स्वागत किया है।


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