कानपुर में बाबा हनुमान जी के जन्मोत्सव में शहर के कई मंदिरों में इस पावन उत्सव को पर्व की तरह आयोजित किया गया इसी क्रम में कानपुर के इटावा बाजार क्षेत्र में भी भक्त राजू कश्यप व अन्य क्षेत्रीय के नेतृत्व में एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जहां बाबा ज्वालेश्वर व भगवान श्री राम दरबार का विशेष पूजन के बाद भोग लगाकर भक्तों में प्रसाद बांटा गया वही भक्तों ने प्रसाद रूपी हलूआ पूड़ी बूंदी खाकर भगवान का धन्यवाद अर्पित किया इस अवसर पर भक्त राजू कश्यप ने बताया कि बाबा हनुमान की कृपा से पिछले कई वर्षों से भंडारे का आयोजन होता आ रहा है और आगे भी होता रहेगा ये उनका ही आशीर्वाद है राजू कश्यप ने बताया कि राम भक्त हनुमान जी को कलयुग का सबसे प्रभावशाली देवता और भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। हनुमान जयंती का महत्व केवल पूजा और पर्व तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक दिव्य दिन है जब भक्त भगवान हनुमान से शक्ति, साहस और साहसिकता प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद लेते हैं. विशेष रूप से इस दिन भगवान हनुमान के 108 नामों का जाप और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है जो श्रद्धालुओं के जीवन में हर प्रकार की बाधाओं और संकटों को दूर करता है।इस अवसर पर भक्त राजू कश्यप,राजू नादान,मोनू पांडेय, गोविंद जायसवाल,आशीष कश्यप,मनीष सैनी,राजू जायसवाल,मुरली कश्यप,अमर मिश्रा,मोनू मिश्रा,यश आदि भक्त मौजूद रहे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस समय जिस समय असुरों और देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया था। तब अमृत के लिए देवता और असुर आपस में ही झगड़ा होने लगा।इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण किया। जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखा तो भगवान शंकर वासना में लिप्त हो गए। उस समय भगवान शिव ने अपने वीर्य का त्याग कर दिया। उस वीर्य को पवनदेव ने अंजना के गर्भ में स्थापित कर दिया।जिसके बाद चैत्र पूर्णिमा को माता अंजना के गर्भ से हनुमान जी ने जन्म लिया था। वनराज केसरी और अंजना ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि वह अंजना के कोख से जन्म लेंगे। हनुमान जी को वायुपुत्र भी कहा जाता है। क्योंकि जिस समय हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया था। उस समय इंद्र ने उन पर व्रज से प्रहार किया था। जिसके बाद पवनदेव ने तीनों लोकों से वायु का प्रवाह बंद कर दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने हनुमान जी को आर्शीवाद दिया था तभी से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है
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