सोमवार, 12 जुलाई 2021

हिन्दी साहित्य भारती की स्थापना और विकास*




        


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         शाहिद खान झांसी

            प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झाँसी निवासी डॉ रवींद्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिन्दी भाषा एवं हिन्दी साहित्य के उत्थान का संकल्प लेकर १५ जुलाई २०२० को हिन्दी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ३५ देशों में हिन्दी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के २७ प्रदेशों में हमारी विधिवत रूप से गठित प्रदेश कार्यकारिणीयाँ सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय हैं। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है। 

        १४ सितम्बर २०२० से १४ अक्टूबर २०२० तक *हिन्दी मास व्याख्यानमाला* का आभासी आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक व्याख्यान दिये। अक्टूबर मास में ही *धर्म बनाम छद्म धर्मनिरपेक्षता*, *साहित्य और संस्कृति का अन्तःसम्बन्ध* एवं *संस्कार और संस्कृति* विषयों पर साप्ताहिकी के अंतर्गत अनेक शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने तार्किक विवेचना प्रस्तुत की। इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त हिन्दी साहित्य भारती द्वारा  *पुस्तक समीक्षा*, *महापुरुषों की जयंती* और युवा साहित्यकारों के लिए *साहित्यिक प्रशिक्षण* के कार्यक्रम भी आयोजित किये गये।

        अत्यन्त गौरव का विषय है कि हिन्दी साहित्य भारती से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्विद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति,  प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिन्दीप्रेमी और साहित्यनुरागी तन-मन-धन से तथा पूर्ण निष्ठा एवं समर्पणभाव से जुड़े हैं।


                     *संस्था के उद्देश्य* 

  संस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नवत हैं-

१-भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना। 

२- भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना।

३- वैश्विक स्तर पर हिन्दी की महत्ता (जिसमें भारत की सभी  क्षेत्रीय बोलियाँ भी शामिल हैं) स्थापित करना और इस हेतु हिन्दी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना। 

४- हिन्दी एवं भारत की सभा भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाजोपयोगी साहित्य को भिन्न-भिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल कराना। 

५- हिन्दी के समृद्ध किन्तु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना।  

६- विश्व के हिन्दी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना।

७- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुँचना तथा देश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना। 

८- *"इदं न मम, इदं राष्ट्राय"* तथा *"माता भूमि: पुत्रोहम पृथ्विया:"* के मंत्र को केंद्र में रखकर हिन्दी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार और प्रशिक्षण आदि का आयोजन करना। 

९-हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिन्दी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना। 

१०- हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य तथा हिन्दी के साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, गोष्ठियाँ, कवि सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्यकार सम्मेलन आदि आयोजित करना।


        *हिन्दी साहित्य भारती के आयाम*

       हिन्दी साहित्य भारती के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में निम्न आयामों के माध्यम से निरन्तर गतिविधियाँ चल रही हैं।

*१- राष्ट्रवन्दन, अतीत का अभिनन्दन*

      इस कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे महान साहित्यकारों का भावपूर्ण स्मरण किया जाता है, जिनके प्रेरक व्यक्तित्व और कृतित्व के बारे में उतना प्रचार- प्रसार नहीं हो पाया, जिसके वे हकदार थे।

*२- राष्ट्रवन्दन, वर्तमान का अभिनन्दन*

     इस कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे श्रेष्ठ साहित्यकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व का विवेचन किया जाता है, जो  वर्तमान समय में समाज और राष्ट्रहित में साहित्यसृजना कर रहे हैं। ऐसे रचनाकारों के बारे में देश के लोगों विशेष रूप से युवा साहित्यकारों को जानकारी होनी ही चाहिए, इसलिए साप्ताहिक रूप से यह कार्यक्रम निरन्तर चल रहा है।

*३- काव्य प्रतिभा सम्मान*

     देश के प्रतिभाशाली कवियों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना इस आयाम का उद्देश्य है।

*४- विविध विधा प्रशिक्षण कार्यक्रम*

         युवा और नवोदित साहित्यकारों के लिये विविध विधाओं में लेखन की बारीकियों को समझने के लिए विशेषज्ञ साहित्यकारों और विद्वानों के मार्गदर्शन में समय- समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है। इस क्रम में *काव्य शिल्प प्रशिक्षण* का आयोजन किया जा चुका है। भविष्य में ललित निबन्ध, कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, यात्रा-संस्मरण आदि विधाओं में भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

 *५-पत्र-लेखन अभियान*

      भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाने के आग्रह के लिए महामहिम राष्ट्रपति जी के नाम  ऑनलाईन और ऑफलाईन दोनों प्रकार से पत्र-लेखन का अभियान चलाया जा रहा है। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि अभी तक पूरे देश में हजारों गणमान्य व्यक्ति पत्र-लेखन अभियान का हिस्सा बन चुके हैं।

 *६-सदस्यता अभियान*

       हिन्दी साहित्य भारती का सदस्यता अभियान भी प्रारम्भ हो चुका है। देश-विदेश में ऑनलाईन और ऑफलाईन दोनों प्रकार से सदस्यता ली जा रही है।

*७- संगोष्ठियों का आयोजन-* देश के साहित्यिक प्रदूषण समाप्त करने हेतु भिन्न-भिन्न विषयों पर केन्द्र, प्रदेश, प्रान्त एवं जनपद इकाईयों द्वारा निरन्तर संगोष्ठियों का आयोजन करना ।

         आज हिन्दी साहित्य भारती की केन्द्रीय कार्यकारिणी तथा वैदेशिक कार्यकारिणी की घोषणा की जा रही है। वैदेशिक कार्यकारिणी केन्द्रीय कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में काम करेगी।

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